Add To collaction

मासिक लेखनी प्रतियोगिता 20-Jun-2022 रिश्तौ की बदलती तस्वीर

                   धीरज जब दोपहर को सोकर उठा तब उसे अपने सीने में दर्द महसूस हुआ। वह सोचने लगा कि खाने पीने से होरहा होगा। अक्सर इस तरह के दर्द हो हीजाते है वह कुछ देर तक   बाम की मालिस करने लगा।


     परन्तु उसे कोई आराम नही आरहा था। उसने सोचा कि किसी को साथ लेजाकर डाक्टर से चैकप करवालू। यह सोचकर वह कमरे से बाहर निकलकर गया तो देखा कि लोबी मे एक तरफ उनकी पत्नी बैठी मौबाइल  चलाने में  ब्यस्त है दूसरे सोफा पर बेटा बैठा है वह भी अपने मौबाइल पर ब्यस्त है और बेटी अपने कमरे में बैठी किसी से बातें कर रही है।

     वह अपनी पत्नी से बोले," नन्दिनी मेरी छाती में दर्द हो रहा है किसी डाक्टर को दिखालूँ ऐसा लग रहा है। रात को बढ़ गया तो परेशानी होजायेगी। "

      " हाँ ठीक है डाक्टर को दिखाकर मुझे फौन करके बताना कि डाक्टर ने क्या बताया ? " नन्दिनी ने इतनी बात मौबाइल पर उँगली चलाते हुए ही कही उसने यह भी नही देखा कि उसके पति की हालत कैसी है ? वह अपने आप स्कूटर ड्राइब कर सकते है अथवा नहीं न बेटे ने कहा कि पापा मैं आपको दिखा लाऊँ।

         बेटी की तो बात करने का कोई फायदा ही नही वह अपने बाय फ्रैन्ड के साथ शाम की पार्टी का  प्रोग्राम  फिक्स कर रही थी।  उसने तो यह भी नही सुना कि जिस बाप के ऊपर वह मौज मस्ती कर रही है और वह बीमार है भगवान न करे उसे कुछ हो जाय तो क्या होगा।

                   आखिर धीरज ने ऐसे तैशे स्कूटर की चाबी ली और  बाहर निकल लिए। और बाहर स्कूटर स्टार्ट करने की असफल कोशिश करने लगे। पहले तो उसे चाबी से स्टार्ट करने की कोशिश की। फिर किक मारने लगे।

            किक मारते बहुत देर होगयी लेकिन स्कूटर स्टार्ट ही नही हो रहा था धीरज पसीना से लथपथ होगया। यह सब थोडी दूर पर खडा़ माली सीताराम देख रहा था। वह उनके पास आया।

      सीताराम ने पूछा ," क्या हुआ बाबूजी लाओ ससुरे को हम अभिहाल चालू कर देयते है।" इतना कहकर सीता राम ने दो चार किक मार कर स्कूटर स्टार्ट कर दिया।

             सीताराम ने स्कूटर चालू करके उनके हाथ में देना चाहा । लेकिन उनका हाद बुरी तरह काँप रहा था।  सीताराम ने पूछा," क्या हुआ बाबूजी ? क्या आपकी तबियत खराब है ? लाओ हम चलाते है स्कूटरवा आप बैठो । बताओ कहाँ चलना है ?"

        इतना कहकर सीताराम ने स्कूटर  ले लिया और उस पर बैठगया और उसके पीछे धीरज बैठगया।

     धीरज ने बताया संजीवनी लेचल मै फौन करदेता हूँ  तू स्कूटर चला तो लेता है ? धीरज ने सीताराम को पूछा।

     सीताराम बोला," बाबूजी आप तनिक भी चिन्ता मत करो हमारे पास  कारवा का भी लाइसन्स है यह तो क्या है ? आप हमारी कमरवा पकड़ कर बैठ जाबो हम अभी संजीवनी पहुँचा दैगे। "

     इतना कहकर सीताराम हवा से बाते करते हुए स्कूटर सड़क पर सरपट दौडा़ने लगा।वह सीधा मिनटौ में अस्पताल पहुँच गया और बाहर खडे़ कम्पोटर को आवाज देकर बुलाया और बोला," भैया हमरे बाबूजी की तबियतवा बहुत खराब है तुम तनिक पहिए वाली कुर्सी लेआओ। "

    वह फटाफट ह्वील  चेयर लेआया  और सीताराम ने उसकी सहायता से धीरज को उतरवाया और उनको एमरजैन्सी बार्ड की तरफ  लेजाने लगा। डाक्टर ने उनका चैकप किया और फटाफट इलाज शुरू कर दिया।

      डाक्टर चैक अप करके बोला," इनके साथ कौन आया है  ?"

       सीताराम बोला," मै लाया हूँ इनको क्या हुआ है इनको ?"

          इनको हार्ट अटैक आया है। यह तो अच्छा हुआ कि इनको समय से हास्पीटल लेआये। यदि दस मिनट की देर भी इनके लिए  बहुत खतरनाक साबित हो सकती थी।  इनका अभी आपरेशन करना होगा। इतना कहकर डाक्टर ने एक फार्म भरा और बोले," लो तुम इसपर अपने सिगनेचर करदो। "

      मै नही बाबूजी मै इतनी बडी़ जिम्मेदारी कैसे ले सकता हूँ और मै तो अनपढ़ हू मुझे यह भी नही मालूम इसमे आपने क्या लिखा है ?"
 इतना कहकर  सीताराम का हाथ कापने लगा।

       धीरज उसकी तरफ देखकर बोला," बेटा तू अपना अँगूंठा लगादे इसके नीचे मै लिखदूँगा कि इसने मेरे कहने पर अँगूंठा लगाया है। "

      उसी समय सीताराम के पास कोई फौन आया  " तू कहाँ मर गया है सीताराम। मै तेरी आज की दिहाडी़ काट लूगी। तू अभीतक नहीं आया मुझे फिर किट्टी पार्टी में जाना है। जल्दी आजा। "

 सीताराम फार्म पर अँगूठा लगाकर बोला," दिहाडी़ ही काटनी है काटलेना  अब आप संजीवनी हास्पीटल आजाओ यहाँ बाबूजी का आपरेशन होना है । "

       "कौन बाबूजी का आपरेशन है  ?मै क्या  करू ? तूने पूरे शहर का ठेका ले रखा है ?" वह कड़कती हुई बोली।

       "अपने धीरज बाबूजी का?" इतना कहकर उसने फौन काट दिया और मन ही मन बड़बडाने लगा।

         कुछ देर बाद ही वहाँ पूरा घर आ चुका था। और आपरेशन थियेटर के बाहर खडे़ होकर डाक्टर की प्रतीक्षा करने लगे।

     एक घन्टे बाद डाक्टर बाहर आये तब धीरज के बेटे ने पूछा ," डाक्टर साहब कैसे है पापा ?"

      मिस्टर इसका शुक्रिया करो जो इतनी जल्दी अस्पताल  लेआया। यदि  आधा  घन्टा भी लेट होजाती तब कुछ भी हो सकता था। जो कुछ समय पहले उसकी दिहाडी़ काटने की धमकी देरही थी वह  अब उसकी अपराधी बनी खडी़ थी मन ही मन उसको दुआ देरही थी।

         एक घन्टे बाद धीरज को होश आया तब सब उनका हाल पूछ रहे थे और कह रहे थे कि आपने हमें बताया ही नही कि आपको अटेक आया है। वह  अपने दिल में सोच रहा था कि मुझे यह कैसे पताहोता कि मुझे अटैक आया है। धीरज सोचने लगा यदि आज यह सीताराम नहीं आता तब अपनौ के भरोसे तो रामनाम सत्य होचुकी थी। 

     इस मौबाइल की आदत ने हमे सभी स रिश्तौ से दूर कर दिया है। इस मौबाइल युग मे बेटा अपने पापा को  भी ह्वट्सप से ही गुड मार्निग संदेश भेजता है जबकि वह एक ही फ्लैट में एक ही छत के नीचै रहते है।

      पहले हमारे संस्कार ऐसे थे कि हर पारवारिक सदस्य हमारे दुःख में साथ खडा़ दिखाई देता था। और आज इस मौबाइल युग मे केवल रिश्ते मम्मी पापा व बेटे तक सीमित होकर रहगये है । आज चाचा चाची ताई ताऊ बूआ फूफा मौसा मौसी यह सब रिश्ते लुप्त होते जारहे है। 

    अब हम बच्चौ को बचपन मे गुड मार्निग  सिखाते है टीवी पर पहले मीरा बाई लक्ष्मी बाई रामायण श्री कृष्णा देखते है आज बच्चे  पैपा पिग मोटू पतलू  व डोरेमन जैसे नाटक  दे खते  है इनका प्रभाव तो दिखाई देगा ही।

    रिश्तौ का परिवेश बदल चुका  है। रिश्ते सिमट गये है। हमारी भावनाये मर चुकी है़। इनको कौन जगायेगा। करौना ने तो रिश्तौ की होली जलादी। बाप बेटे की डैडबाडी नही छूना चाहता था जिन्दा आदमी करौना पीडि़त से ऐसे भागता था जैसे भूत आगया हो।।

       रिश्तौ को जीवित रखने के लिए हमें शिक्षा पद्धति में बदलाव करना होगा अँग्रेजी पढ़ना बुरा नही है बुरा तो अपने संस्कार भुलाना है आजकल  बृद्धाश्रम क्यौ खुल रहे है हमें सोचना होगा। आजकल बच्चौ पर समय नही है 

       जिस परिवार में पति पत्नी दोंनौ सर्विस करते है वहाँ बीमार मा बाप को कौन रखेगा उनकी देखभाल कौन करेगा। एक कहानी पढी़ थी  एक माबाप यहाँ भारत मे रहते थे बेटा अमेरिका मे रहता था। उनकी पत्नी अपाहिज थी अन्धी भी थी।  पतिदेव ही पत्नी की देखभाल करते थे एक रात पति को अटैक आगया और वह स्वर्ग सिधार गये जब सुबह पत्नी को चाय पानी नही मिला उन्हौने आवाज लगाई।

     वहाँ उनकी कौन सुनता पत्नी किसी तरह बैड से उतर कर नीचे घिसटकर पतिके पास पहुची। हिलाया आवाज दी लेकिन वहाँ तो कुछ था ही नही।

    फिर वह फौन की तरफ पहुची  मतलब वह भी भूखी प्यासी  मौत के आगोस मे चलीगयी। जब दो दिन कोई नही निकला तब पडौ़सियौ ने पुलिस बुलाकर दरवाजा तोड़कर देखा दोनौ मर चुके थे  

      अब आप सोचो ऐसी पढाई किस कामकी जो मा बाप को साथ न रख सके। ऐसा पैसा किस लिए कमाये जो अपने से दूर रखे।


मासिक लेखन प्रतियोगिता हेतु रचना

नरेश शर्मा  " पचौरी "

20/06/2022



      

   19
10 Comments

🤫

09-Jul-2022 01:49 PM

बहुत खूब

Reply

Swati chourasia

23-Jun-2022 11:36 PM

बहुत ही बेहतरीन कहानी 👌👌

Reply

Seema Priyadarshini sahay

22-Jun-2022 10:56 AM

बहुत खूबसूरत

Reply